कैथोलिक ईसाई संप्रदाय को मानने वाले समलैंगिक समुदाय के लोगों को वेटिकन सिटी की ओर से करारा झटका लगा है। वेटिकन का कहना है कि समलैंगिक दंपतियों को पोप आशीर्वाद नहीं दे सकते क्योंकि यह अवैध हैं। भले ही तमाम पश्चिमी देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई है, लेकिन वेटिकन का यह आदेश उनके लिए चिंता का सबब है। इससे सामाजिक मान्यता के तौर पर भी उन्हें दिक्कत आ सकती है। कैथोलिक ईसाइयों की सबसे बड़ी संस्थान वेटिकन का कहना है कि भगवान पाप को आशीर्वाद नहीं दे सकते हैं।
ईसाई धर्म के लिए नियमों का निर्धारण करने वाले द वेटिकंस आर्थोडॉक्सी ऑफिस ने उस प्रश्न के सिलसिले में यह जवाब दिया है, जिसमें पूछा गया था कि क्या कैथोलिक पादरी समलैंगिक विवाहों को आशीर्वाद दे सकते हैं। दो पेज के इस उत्तर को पोप फ्रांसिस का भी समर्थन प्राप्त है। इस जवाब को सात भाषाओं में प्रकाशित किया गया है। वेटिकन के मुताबिक समलैंगिकता का न केवल सम्मान किया जाना चाहिए बल्कि ऐसे लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए, जैसा आम लोगों के साथ किया जाएगा। हालांकि जहां तक बात समलैंगिक विवाह की है तो यह एक तरह की अव्यवस्था है।
वेटिकन ने कहा कि कैथोलिक रीति-रिवाजों के मुताबिक पुरुष और महिला के बीच विवाह भगवान की योजना का हिस्सा है और इसका उद्देश्य नए जीवन का निर्माण करना है। चूंकि समलैंगिक विवाह इस योजना का हिस्सा नहीं है, इसलिए चर्च ऐसे दंपतियों को आशीर्वाद नहीं दे सकते हैं। पोप फ्रांसिस कई बार समलैंगिकों के अधिकारों का समर्थन कर चुके हैं और यह कहा है कि यह उनका कानूनी है। हालांकि वह समलैंगिक विवाह के खिलाफ रहे है। यही नहीं 2013 में उन्होंने गे कपल्स से मुलाकात भी की थी। दरअसल चर्च की हमेशा से यह राय रही है कि गे होना कोई अपराध नहीं है, लेकिन वह समलैंगिक संबंधों के खिलाफ रहा है।