बढ़ रही सूरज की तपिश, तीखी धूप लोगों की बढ़ा रही परेशानी
पूर्वांचल के जिलों में सूरज की तपिश अब धीरे-धीरे जलाने लगी है। पिछले कुछ से पारा में बढ़ोत्तरी हुई है। गर्मी तेज होने से अब लोगों को भी परेशानी होने लगी है। लोगों को अब पसीना आने लगा है। साथ ही दोपहर में लोग घरों से कम बाहर निकलने लगे हैं।
अभी तक बारिश और नम हवाओं की वजह से कुछ दिनों तक गर्मी से राहत मिली थी। साथ ही तापमान में भी गिरावट देखी गई। लेकिन अब गर्मी ने जोड़ पकड़ लिया है।
धूप के साथ होती सुबह दोपहर तक पसीना ले आती है। गुरवार को हुई सुबह भी कुछ ऐसा ही अहसास कर रही है। तेज निकली धूप इतनी तेज है, कि दोपहर तक तीखी हो जाएगी।
वसंत ऋतुचर्या
? सूर्य धीरे-धीरे तेज हो रहा है, दिन लंबे हो रहे हैं, दिन में गर्मी बढ़ रही है, सुबह और रात में अभी भी थोड़ी ठंडी है, नए पत्ते, फूल पेड़ो पर आ रहे है , सुंदर प्रकृति की खुशी में पक्षी गा रहे है और सभी मौसमों के राजा ‘वसंत’ का स्वागत कर रहे है। ?
? प्रकृति में हमारे आस-पास की हर चीज़ जैसे वसंत के आगमन के साथ बदल रही है, हमारा शरीर भी बदलाव से गुजर रहा है, इसीलिए शरीर में दोषों के संतुलन को बनाए रखने के लिए कुछ आहार और जीवनशैली में बदलाव आयुर्वेदिक आचार्यों द्वारा सुझाए गए हैं।
? वसंत ऋतु में कफ दोष , जो सर्दियों में जमा हो जाता है, गर्मी में वृद्धि के कारण पिघलना शुरू हो जाता है, जिसे अगर हटाया या संतुलित नहीं किया गया तो बीमारियों का कारण बन सकता है।
? कम पाचन शक्ति, कम भूख, सुस्ती, थकान, सांस की एलर्जी, शरीर में दर्द, भारीपन, गले में खराश आदि इस मौसम के कुछ विकार हैं। ?
?वसंत ऋतु में 2 महीने होते है चैत्र और वैशाख जो ज्यादातर मार्च मध्य से मई मध्य तक रहते है ।
?विहार संबंधी पालनिय नियम –
?सुबह जल्दी उठें क्योंकि यह कफ वृद्धि को रोकता है। ?
? दांत साफ करने के लिए कड़वे नीम की टहनी का प्रयोग करें और कफ को हटाने के लिए कवल (oil pulling) करें। ?
? तिल के तेल की मालिश करें। ?
?इस मौसम में व्यायाम जरूर करें। ?️
?गर्म पानी से स्नान करें, ठंडे या अत्यंत गर्म पानी का उपयोग न करें।
? उदवर्तन(सूखी मालिश) जौ का आटा, बेसन, हल्दी, कर्पूर, चंदन, लोध्र, नीम आदि के साथ करे, यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को दूर करने में मदद करता है।
? नासिका (नासिका) में तेल और आँखों में अंजन लगाए।
? शरीर को ढक कर रखे, हवा के साथ सीधे संपर्क से बचे। ?
? दिन में ना सोए।
?प्रकृति में समय बिताएं, बागों में जाएं प्रकृति के रंगों का आनंद लें यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। ????
?आहार संबंधी पालनिये नियम
✅ वही भोजन न करें जो सर्दियों में खाया जाता है जैसे कि मीठे स्वाद (लड्डू, गुड़ आदि), खट्टे फल और वसा का उपयोग न करें।
✅ पुराने या भुने हुए अनाज को ले।
✅गेहूँ, जौ, चावल और मूंग की दाल खाए, उड़द की दाल से परहेज करें।
✅ कड़वे (करेला, मेथी, नीम), कसैले (आंवला, हरड़) और तीखे (मिर्च) स्वाद वाला भोजन ले। मीठे, खट्टे और नमकीन खाने से बचें।
✅ ठंडा और भारी भोजन ना करे।
✅ उबला हुआ पानी पिए, जड़ी बूटियों जैसे शुंठी, जीरा, नागरमोथा आदि को पानी में मिला सकते हैं।
✅ दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे घी, दही, मक्खन कम ले।
✅ शहद को पानी में मिलाकर पिएं।
✅अपनी आवश्यकता के अनुसार आयुर्वेदिक आसव, अरिष्ट और काढ़े ले इसके लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।
कौनसी शोधन थेरेपी लेवे ??
? इस मौसम में शरीर के स्रोतों को स्वच्छ करने के लिए वमन (चिकित्सीय उल्टी) का सुझाव दिया गया है ।
✅नस्य , अभ्यंग भी आयुर्वेदिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में भी किया जा सकता है।
?यदि आपको लगता है कि मौसमी समस्याएं होने के लिए बाध्य हैं या आप उनसे ग्रस्त होते ही है तो उपरोक्त दिशानिर्देशों का पालन करने से आपको अपने स्वास्थ्य में भारी अंतर दिखाई देगा।
नारायणियम आयुर्वेदिक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर