• About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
Rashtriya Patal
Advertisement
  • होम
  • अंतराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
    • उत्तरप्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • योजनाएं
  • सैर सपाटा
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
  • होम
  • अंतराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
    • उत्तरप्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • योजनाएं
  • सैर सपाटा
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
Rashtriya Patal
No Result
View All Result
Home Uncategorized

तपता हिमालय: बदलते मौसम ने पर्यटन और खेती को पहुंचाया नुकसान

By Raju Sajwan, Akshit Sangomla, Manmeet Singh, Rohit Prashar, Rayies Altaf

admin by admin
04/04/2021
in Uncategorized
0 0
0
तपता हिमालय: बदलते मौसम ने पर्यटन और खेती को पहुंचाया नुकसान
0
SHARES
22
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter
0
0

इतिहास का दूसरा सबसे गर्म वर्ष 2020 रहा, लेकिन 2021 के शुरुआती तीन महीने रिकॉर्ड के नए संकेत दे रहे हैं। खासकर भारत के लिए ये तीन महीने खासे चौंकाने वाले हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि भारत के मौसम के लिए बेहद अहम एवं संवेदनशील माने जाने वाले हिमालय से मिल रहे संकेत अच्छे नहीं हैं। पिछले तीन माह के दौरान हिमालयी राज्यों में बढ़ती गर्मी और बारिश न होने के कारण वहां के लोग चिंतित हैं। डाउन टू अर्थ ने पांच हिमालयी राज्यों के लोगों के साथ-साथ विशेषज्ञों से बात की और रिपोर्ट्स की एक ऋंखला तैयार की। पहली कड़ी में आपने पढ़ा कि कैसे हिमालयी राज्यों में मार्च में ही लू के हालात बन गए। दूसरी कड़ी में आपने पढ़ा कि जनवरी-फरवरी में कई हिमालयी राज्यों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ी। पढ़ें इससे आगे की कड़ी-  

हिमालयी राज्यों के लिए विंटर टूरिज्म बहुत मायने रखता है। लेकिन बढ़ते तापमान ने पर्यटन से जुड़े लोगों के माथे पर शिकन बढ़ा दी है। उत्तराखंड में हर साल दिसंबर से ही औली के विश्वविख्यात ढलानों पर बर्फ की कई फीट चादर बिछ जाया करती थी। देशी-विदेशी पर्यटक साहसिक खेलों का लुत्फ लेने को जुटते रहे हैं। लेकिन इस बार बेहद कम हिमपात हुआ जो कुछ ही दिनों में पिघल गया। हर साल की तरह इस साल भी फरवरी के अंतिम सप्ताह में औली में राष्ट्रीय सीनियर अल्पाइन स्कीइंग एंड स्नोबोर्ड चैंपियनशिप का आयोजन होना था, लेकिन बर्फ न होने के कारण ये खेल रद्द करने पड़े। औली में एक रिजॉर्ट मालिक विपिन लाल शाह बताते हैं कि मुझे याद नहीं पड़ता कि इससे पहले कभी ऐसा हुआ हो। स्कीइंग ट्रेनर अखिलेश पंवार कहते हैं कि यह सीजन बहुत बुरा रहा।

इतना ही नहीं, इन हिमालयी राज्यों में इस साल जनवरी-फरवरी में बारिश भी काफी कम हुई। मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अरुणाचल प्रदेश में इन दो महीनों में सामान्य से 72 प्रतिशत, नागालैंड-मणिपुर-मिजोरम-त्रिपुरा क्षेत्र में 82 प्रतिशत, सब हिमालयन पश्चिम बंगाल/सिक्किम में 54 प्रतिशत, उत्तराखंड में 56 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 70 प्रतिशत और जम्मू कश्मीर में 45 प्रतिशत बारिश कम हुई। बारिश और ठंड में कमी का असर हिमालयी राज्यों की फसल पर भी पड़ा।

नागालैंड में वोखा जिले के रुचान गांव के अध्यक्ष चेनिराओ खुंगो मानते हैं कि 2020 में गर्मी सामान्य से अधिक गर्म थी और सर्दी सामान्य से अधिक ठंडी थी। उनका कहना है कि अनियमित बारिश के साथ बढ़ते तापमान के कारण बैंगन, मिर्च, मूली, आलू और गाजर में अज्ञात बीमारियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने पहले कभी इस तरह की समस्या नहीं देखी थी। इसके चलते लोगों को पहली बार उन कीटनाशकों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जिनका इस्तेमाल पहले कभी नहीं किया गया। उन्हें राज्य के बागवानी विभाग या किसी और से इसके लिए कोई मदद नहीं मिली है। अरुणाचल प्रदेश के अपर सियांग जिले के यिंगकियॉन्ग निवासी दुरिक मियु कहते हैं कि पिछले चार-पांच साल से वह देख रहे हैं कि आम के पेड़ों में बौर जनवरी-फरवरी में ही निकलने लगते हैं, इस बार भी ऐसा ही हुआ है।

हिंदु कुश हिमालय (एचकेएच) क्षेत्र भारत, नेपाल और चीन सहित कुल आठ देशों में 3,500 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है। इस क्षेत्र को तीसरा पोल माना जाता है, क्योंकि उत्तरी और दक्षिणी पोल के बाद यहां सर्वाधिक बर्फ होती है। यहां करीब 24 करोड़ लोग निवास करते हैं। यहीं से 10 नदी बेसिन की उत्पत्ति होती है जिनमें गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेकॉन्ग शामिल हैं। भारत के 11 राज्यों और दो केंद्र शासित क्षेत्रों में हिमालय फैला हुआ है। इनमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, असम और पश्चिम बंगाल के दो-दो जिले शामिल हैं। ये इलाके आमतौर पर अत्यधिक ठंड के लिए जाने जाते हैं। लेकिन अब इसमें बदलाव के लक्षण दिखाई देने लगे हैं।

इस साल जनवरी-फरवरी में तापमान में वृद्धि एक असामान्य घटना इसलिए है, क्यांेकि अभी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में मध्यम ला नीना की स्थिति बनी हुई है और ला-नीना की वजह से दुनिया के दूसरे हिस्सों में असामान्य ठंड हो रही है। गौरतलब है कि पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ला-नीना की स्थिति पैदा होती है। इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है, जिसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और वो भी औसत से ठंडा हो जाता है।

Previous Post

कोरोना: देश में 4.5 फीसदी लोग दोबारा संक्रमित

Next Post

आजमगढ़ पुलिस भी पूछ्ताछ करेगी मुख़्तार से

admin

admin

Next Post
file photo

आजमगढ़ पुलिस भी पूछ्ताछ करेगी मुख़्तार से

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Trending
  • Comments
  • Latest

उत्तर प्रदेश आयुर्वेदिक यूनानी बेरोजगार उपचारिकाओं उ प्रा लोक सेवा आयोग में बैठक संपन्न

06/06/2023
भारतीय आयुर्वेद में सिलबट्टे का महत्व

भारतीय आयुर्वेद में सिलबट्टे का महत्व

19/07/2021
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के लेट लतीफी के चलते परेशान है बी ए ऍम एस के छात्र

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के लेट लतीफी के चलते परेशान है बी ए ऍम एस के छात्र

01/09/2021
फल चिकित्सा में जानते है काले अंगूर के बेमिसाल फायदे

फल चिकित्सा में जानते है काले अंगूर के बेमिसाल फायदे

01/04/2021

How this Nigerian woman went from aspiring developer to meeting Mark Zuckerberg

0

Celebrity Foodies: See What the Stars Are Snacking on Today

0

Jimmy Fallon’s 8 Best Hosting Moments of All Time

0

British model issues lengthy, sincere apology for cultural appropriation

0
आयुर्वेदिक पैरामेडिकल कॉलेज की वार्षिक परीक्षा न होने के क्रम में छात्रों  का भविष्य अंधकारमय

आयुर्वेदिक पैरामेडिकल कॉलेज की वार्षिक परीक्षा न होने के क्रम में छात्रों का भविष्य अंधकारमय

12/01/2025
400 किताबें लिखने वाले SN खंडेलवाल वृद्धाश्रम में ली अंतिम स्वास .

400 किताबें लिखने वाले SN खंडेलवाल वृद्धाश्रम में ली अंतिम स्वास .

29/12/2024
उत्तराखंड

उत्तराखंड

27/11/2024

कभी सहस्त्रबाहु तो कभी अहिल्याबाई की कर्मभूमि रहा है महेश्वर

02/08/2024

Recent News

आयुर्वेदिक पैरामेडिकल कॉलेज की वार्षिक परीक्षा न होने के क्रम में छात्रों  का भविष्य अंधकारमय

आयुर्वेदिक पैरामेडिकल कॉलेज की वार्षिक परीक्षा न होने के क्रम में छात्रों का भविष्य अंधकारमय

12/01/2025
400 किताबें लिखने वाले SN खंडेलवाल वृद्धाश्रम में ली अंतिम स्वास .

400 किताबें लिखने वाले SN खंडेलवाल वृद्धाश्रम में ली अंतिम स्वास .

29/12/2024
उत्तराखंड

उत्तराखंड

27/11/2024

कभी सहस्त्रबाहु तो कभी अहिल्याबाई की कर्मभूमि रहा है महेश्वर

02/08/2024
Rashtriya Patal

We bring you the best news magazine, personal blog, etc for you, Check our website

Follow Us

Browse by Category

  • feature
  • KOVID
  • Uncategorized
  • अंतराष्ट्रीय
  • आजमगढ़
  • उत्तरप्रदेश
  • उत्तरांचल
  • खान पान
  • खेल
  • जम्मू और कश्मीर
  • टेक्निक गुरु
  • दिल्ली
  • नारायणीयम आयुर्वेदिक स्कूल से
  • बंगाल
  • मनोरंजन
  • योजनाएं
  • राष्ट्रीय
  • लखनऊ
  • सम्पादकीय
  • सैर सपाटा
  • स्वास्थ्य
  • हिमांचल

Recent News

आयुर्वेदिक पैरामेडिकल कॉलेज की वार्षिक परीक्षा न होने के क्रम में छात्रों  का भविष्य अंधकारमय

आयुर्वेदिक पैरामेडिकल कॉलेज की वार्षिक परीक्षा न होने के क्रम में छात्रों का भविष्य अंधकारमय

12/01/2025
400 किताबें लिखने वाले SN खंडेलवाल वृद्धाश्रम में ली अंतिम स्वास .

400 किताबें लिखने वाले SN खंडेलवाल वृद्धाश्रम में ली अंतिम स्वास .

29/12/2024
  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact

© 2021 Rashtriya Patal .

No Result
View All Result
  • होम
  • अंतराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
    • उत्तरप्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • योजनाएं
  • सैर सपाटा
  • स्वास्थ्य

© 2021 Rashtriya Patal .

Login to your account below

Forgotten Password?

Fill the forms bellow to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In