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सावन पे विशेष – शिव के नवो ज्योतिर्लिंग

डॉ. मधुसूदन नायर by डॉ. मधुसूदन नायर
27/07/2021
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भगवान शिव, जो स्वयं में महाकाल हैं, जिनका काल भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता, जिनके दर्शन मात्र से मोक्ष प्राप्ति होती है। वह त्रिकालदर्शी हैं, भूत, भविष्य और वर्तमान के ज्ञाता हैं। पृथ्वी पर वह ज्योतिर्लिंग स्वरूप में विद्यमान हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर उनके 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, जिनके दर्शनों से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, दुख दूर होते हैं, धन-संपदा, वैभव, प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति प्रतिदिन इन 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम जपता है, वह सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। मनोकामना की पूर्ति के लिए इन ज्योतिर्लिंगों के नामों का जाप किया जाता है।

पुराणों में कहा गया है कि जब तक महादेव के इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर लेते, आपका आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता. हिंदू मान्यता के अनुसार तिर्लिंग कोई सामान्य शिवलिंग नहीं है. ऐसा कहा जाता है कि इन सभी 12 जगहों पर भोलेनाथ ने खुद दर्शन दिए थे, तब जाकर वहां ये ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए. बता

आप संस्कृत की इन पंक्तियों को पढ़कर भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों के नामों का स्मरण कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं और पापों से मुक्त हो सकते हैं

              सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
                      उज्जयिन्यां महाकालमोंकारंममलेश्वरम्॥
                                  परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।
                                            सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
                                                  वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

                                                            हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥


तो चलिए इस महान यात्रा में हमारे साथ डिजिटली यात्रा की शुरुवात करते है यदि हम यात्रा की शुरुवात काशी (वाराणसी ) से करते है तो 

काशी विश्वनाथ यानि काशी के नाथ :- वाराणासी की घाटों पर गंगा के समीप स्थित है ये विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग. ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन की आखिरी सांस यहां लेता है उसे सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है, इस नगर का पौराणिक नाम काशी है, इसलिए यह ज्योतिर्लिंग को काशी विश्वनाथ के नाम से भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि भगवान शिव काशी के राजा हैं, और वे यहां के लोगों की रक्षा करते हैं।

इस ज्योतिर्लिंग के विष्य में एक नहीं बल्कि अनेक कथाएं चर्चा का केंद्र है. सबसे चर्चित कथा है ब्रह्मा जी और विष्णु के बीच हुए मतभेद की कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में इस बात पर बहस हो गई कि कौन ज्यादा बड़ा है.

तब ब्रह्मा जी अपने वाहन पर निकल कर स्तम्भ का ऊपरी भागखोजने लगे. वहीं विष्णु जी चले गए निचला भाग खोजने के लिए. तभी उस स्तम्भ में से प्रकाश निकला और महादेव प्रकट हुए.

अब भगवान विष्णु तो अपने कार्य में असफल रहे, लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ बोला कि उन्होंने ऊपरी छोर खोज लिया. इस बात से भगवान शिव काफी क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि अब उन्न्हे कोई नहीं पूजेगा.

ऐसा कहा जाता है ऐसा कहा जाता है कि महादेव स्वयं वहां काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए. काशी पहुंचने के लिए रेलमार्ग के साथ ही २० किलोमीटर दूर बाबतपुर एयरपोर्ट से टैक्सी ऑटो आदि मिलता है यदि आप अपने साधन से जा रहे है

तो मैदागिन में गाड़ी की पार्किंग मौजूद है वह से आपको ३ किलोमीटर पैदल या इ रिक्शा या रिक्शा मिल जायेगा पहले विस्वनाथ गली होकर मंदिर जाना होता था

पर अब चुकी मंदिर कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है सो अब चौक थाने के पास से ही मंदिर दर्शन की लाइन लगाती है पुरे मंदिर परिसर से पहले ही दर्शन कराने के लिए तमाम पण्डे रूपी दलाल सक्रिय है किसी के चक्कर में न पड़े स्वयं ही लाइन में लग जाये दर्शन हो जायेगे 

सुबह से चार घंटे अदिक्तम समय काशी ज्योतिर्लिंग के बाद आप काशी के घाटों की सैर करे शाम को सारनाथ विजिट कर रात्रि विश्राम वारणसी में करे फिर अगले दिन NH 30 से सारनाथ भभुवा सासाराम देहरी ओन सोन होते हुए औरंगाबाद गिरिडीह से देवधर फिर  ४७० किलोमीटर की दूरी पे है  वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है. यहां के मंदिर को वैद्यनाथधाम के नाम से जाना जाता है.

झारखंड में स्थित है ये प्रसिद्ध वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने से आपके सभी कष्टों का निवारण हो जाता है. इस ज्योतिर्लिंग  की कहानी महान पंडित और राक्षस रावण से जुड़ी हुई है. ऐसा कहा जाता है कि एक बार दशानन हिमालय पर भगवान की बहुत कठोर तपस्या कर रहा था. वो अपने सभी सिर एक-एक करके भगवान शिव को अर्पित कर रहा था. जैसे ही वो अपना नौवा सिर भेंट कर रहा था, तभी महादेव प्रकट हुए और रावण से कोई भी वरदान मांगने को कहा. ब रावण ने कहा कि वो चाहता है कि वो उसके साथ लंका नगरी चलें और वहां जाकर स्थापित हो जाएं.

निकटतम घरेलू हवाई अड्डा लोक नायक जयप्रकाश हवाई अड्डे, पटना, देवघर से 274 किलोमीटर दूर स्थित है। पटना में बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, हैदराबाद, मुंबई, रांची, भोपाल, अहमदाबाद, गोवा और विशाखापत्तनम जैसे कई शहरों की दैनिक उड़ानें हैं।

अब दर्शन कर यदि आप एक ही यात्रा में ही सरे ज्योतिर्लिंग की यात्रा करना चाहते है तो अब आप यदि अपने साधन से है तो मेरी सलाह है की उसे छोड़ दे आगे की यात्रा आपको ट्रैन या किसी किराये की गाड़ी का प्रयोग करना चाहिए साथ

चुकी अब आपको में सलाह दूंगा की केदारनाथ के अगले ज्योतिर्लिंग की तरफ रुख करे अब आपको वापस वारणसी आइये वही से ट्रैन या स्वयं की गाड़ी से हरिद्वार जाना होगा हरिद्वार से ऋषिकेश होते हुए केदारनाथ हेतु गौरीकुंड तक जाना होगा वही से पैदल यात्रा शुरू होती है (पाठा से हेलीकाप्टर से भी आप केदारनाथ तक जा सकते है )

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग- चारों धाम में से सबसे प्रमुख धाम माना जाता है केदारनाथ. उस पवित्र धाम में स्थापना हुई थी केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की. वैसे बता दें. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है. यहां से पूर्वी दिशा में श्री बद्री विशाल का बद्रीनाथधाम मंदिर है.  मान्‍यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्‍फल है.

शेष भाग अगले अंक में …..

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