नंदा देवी उत्तराखंड में पूजी जाने वाली देवी है , जो की कुमाउ और गढ़वाल में दोनों ही मण्डल के लोग नंदा देवी की पूजा करते है| नंदा देवी मंदिर समुद्रतल से 7,500 फीट की उचाई में , मुनस्यारी से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मुनस्यारी में नंदा देवी मंदिर का निर्माण संन 1114 किया गया था।
नंदा देवी प्राचीन काल से पूजी जाती हैए जिसके प्रमाण धार्मिक ग्रन्थो और उपनिषदो मे मिले है। नंदा माँ को नवदुर्गाओं में से एक माना जाता है, भविष्य पुराण में जिन दुर्गाओं का उल्लेख है उनमें महालक्ष्मी, नंदा, क्षेमकरी, शिवदूती, महाटूँडा, भ्रामरी, चंद्रमंडला, रेवती और हरसिद्धी हैं। शिवपुराण में वर्णित नंदा तीर्थ वास्तव में कूर्माचल ही है। शक्ति के रुप में नंदा माँ को पूरे हिमालय में पूजा जाता है। नंदाष्टमी को प्रतिवर्ष भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मुनस्यारी मे मेले का आयोजन किया जाता है|
नंदा मां को नवदुर्गाओं में से एक माना जाता है, भविष्य पुराण में जिन दुर्गाओं का उल्लेख है उनमें महालक्ष्मी, नंदा, क्षेमकरी, शिवदूती, महाटँडा, भा्रमरी, चंद्रमंडला, रेवती और हरसिद्धी हैं। मान्यता है कि मां नंदा को शक्ति के रूप में पूरे हिमालय में पूजा जाता है। नंदा देवी के इस शक्ति रूप की पूजा गढ़वाल में करूली, कसोली, नरोना, हिंडोली, तल्ली दसोली, तल्ली धूरी, नौटी आदि स्थानों में होती है। गढ़वाल में राजजात यात्रा का आयोजन भी नंदा मां के सम्मान में होती है। नंदा अष्टमी को प्रतिवर्ष भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मुनस्यारी में मेले का आयोजन किया जाता है और यहाँ के छठा ही निराली होती है, यहाँ कुमाऊँ की संस्कृति की झलक दिखाई देती है,|
राजजात या नन्दाजात का अर्थ है राज राजेश्वरी नंदा देवी की यात्रा , गढ़वाल क्षेत्र में देवी देवताओं की “जात” देवयात्रा बड़े धूमधाम से मनाई जाती है| जात का अर्थ होता है “देवयात्रा”| लोक विश्वास यह है कि नंदा देवी हिंदी माह के भादव के कृष्णपक्ष में अपने मायके पधारती है| कुछ दिन के पश्चात उन्हें अष्टमी के दिन मायके से विदा किया जाता है| राजजात या नन्दाजात यात्रा देवी नंदा को अपने मायके से एक सजी सवरी दुल्हन के रूप में ससुराल जाने की यात्रा है|
इस अवसर पर नंदा देवी को डोली में बिठाकर एवम् वस्त्र, आभूषण, खाद्यान्न, कलेवा, दूज, दहेज़ आदि उपहार देकर पारंपरिक रूप में विदाई की जाती है| कुमाउनी और गढ़वाली लोग उत्सव को माँ नंदा को मायके से ससुराल के लिए विदाई के रूप में मानते है| नंदा देवी राज जात यात्रा हर बारह साल के अंतराल में एक बार आयोजित की जाती है| हज़ारो श्रद्धालु या भक्त नंदा देवी राज जात में शामिल होते है और यात्रा की इस रस्म को बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते है|
यहाँ तक आप आसानी से पहुच सकते हैं |
हवाईअड्डा – हवाईअड्डा पंतनगर हवाईअड्डा हैं, वहा से आप बस अथवा कार से आसानी से जा सकते हैं|पंतनगर हवाईअड्डे से मुनस्यारी की दुरी 312 किलोमीटर हैं |
ट्रेन – रेलवे स्टेशन काठगोदाम तक आप ट्रेन से आ सकते हैं, वहाँ से बस अथवा टैक्सी से आसानी से जा सकते हैं| काठगोदाम से मुनस्यारी की दुरी 285 किलोमीटर हैं |